जनन प्रधानतः वह परिघटना है जो किसी व्यष्टि के जीवित बने रहने के लिए नहीं होती बल्कि स्पीशीज के स्थायितव के लिए होती है। इस कथन का औचित्य बताइए।
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सभी जीवों को अपने को जीवित रखने तथा अपनी वृद्धि के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा उन्हें विभिन्न जैव-प्रक्रमों जैसे पोषण, श्वसन आदि से प्राप्त होती है। अतः ये परिघटनाएँ किसी जीव के जीवित रहने के लिए आवश्यक होती हैं।
इन प्रक्रमों की अपेक्षा, प्रजनन क्रिया ऊर्जा की बर्बादी जैसी प्रतीत हो सकती है। क्योंकि यह किसी जीव के जीवित रहने के लिए आवश्यक नहीं है। परन्तु यह जीवों के लिए महत्वपूर्ण प्रक्रम है। क्योंकि यह अपने जैसे नए जीवों के उत्पादन में सहायक होता है।
जीवन की निरंतरता प्रजनन की प्रक्रिया से ही सम्भव है। प्रजनन के परिणामस्वरूप DNA प्रतिकृतिकरण द्वारा आनुवांशिक पदार्थ का स्थानांतरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होता है।
DNA प्रतिकृतिकरण उच्च गुणवत्ता तथा विभिन्नताओं के साथ होता है। यह अभिकल्पों को बनाए रखने के लिए लाभप्रद है, जो जीव को बदलते हुए पर्यावरण में जीवित रहने की अनुमति प्रदान करता है।
अतः, प्रजनन प्रधानतः वह परिघटना है जो किसी व्यष्टि (जीव) को जीवित रहने के लिए नहीं होती बल्कि स्पीशीज (प्रजाति) के स्थायित्व के लिए होती है।
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परागण और निषेचन के बीच अंतर बताइए। एक पुष्प में निषेचन का स्थल और उसके उत्पाद बताइए। स्त्रीकेसर का स्वच्छ एवं नामांकित आरेख बनाइए तथा उसमें परागनली की वृद्धि और बीजांड में उसके प्रवेश करते हुए दिखाइए।