किसी $G$ प्रतिरोध के धारामापी पर $S$ ओम प्रतिरोध का शंट लगाया गया है। मुख्य धारा का मान अपरिवर्तित रखने के लिए धारामापी के श्रेणीक्रम में लागये गये प्रतिरोध का मान होगा:
[2011M]
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$(c)$ परिपथ में मुख्य धारा को अपरिवर्तित रखने के लिए गैल्वेनोमीटर का प्रतिरोध कुल प्रतिरोध के बराबर होना चाहिए।
$ \therefore G=\left(\frac{G S}{G+S}\right)+S^{\prime}$
$\Rightarrow G=\frac{G S}{G+S}=S^{\prime}$
$\therefore S^{\prime}=\frac{G^2}{G+S} . $
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एक स्थान पर वैद्युत क्षेत्र $\overrightarrow{ E }$ तथा चुम्बकीय क्षेत्र $\overrightarrow{ B }$ एक दूसरे के लम्बवत् लगे हैं। एक इलैक्ट्रॉन इन दोनों क्षेत्रों के लम्बवत् गति करता है तो वह अविक्षेपित रहता है। इलैक्ट्रान का वेग है :
एक गेल्वेनोमीटर के कॉयल का प्रतिरोध $60 \Omega$ है और $1.0$ ऐम्पीयर धारा के लिए पूर्ण स्केल का विचलन दिया है। इसे $5.0$ ऐम्पीयर तक पढ़ने वाले ऐमीटर में बदलने के लिए:-
एक प्रोटॉन $3 \times 10^5$ मी/सेकंड के वेग से $0.3 T$ वाले चुम्बकीय क्षेत्र में $30^{\circ}$ का कोण बनाते हुए गति करता है। इसकी पथ की त्रिज्या होगी (प्रोटॉन का $e / m =10^8$ कूलाम/किग्रा)
इलेक्ट्रॉनों का एक किरण समूह परस्पर लम्बवत् विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्रों में से अविक्षिप्त चला जाता है। यदि विद्युत क्षेत्र को बन्द कर दिया जाये और चुम्बकीय क्षेत्र को अपरिवर्तित रखा जाये तो इलेक्ट्रॉनों का चलन होगा-
$0.2$ मीटर त्रिज्या की एक वृत्ताकार डिस्क को $\frac{1}{\pi}\left(\right.$ वेबर/मी $\left.{ }^2\right)$ प्रेरण के अचर चुम्बकीय क्षेत्र में इस प्रकार रखा है कि इसका अक्ष चुम्बकीय-क्षेत्र के साथ $60^{\circ}$ का कोण बनाता है। डिस्क से सम्बन्धित चुम्बकीय फ्लक्स होगा :
कोई वर्गाकार पाश (लूप) $\text{ABCD}$ जिससे धारा $i$ प्रवाहित हो रही है, किसी लम्बे सीधे चालक $XY$ जिससे धारा I प्रवाहित हो रही है के निकट एक ही तल में रखा है। इस पाश पर लगने वाला नेट बल होगा: