$M _{ p }$ तथा $M _{ n }$ प्रोटॉन तथा न्यूटौन द्रव्यमान दर्शाते हैं, एक नाभिक जिसमें न्यूट्रॉन संख्या $N$, प्रोटॉन संख्या $Z$ तथा बंधन ऊर्जा $B$ है तो नाभिक $M ( N , Z )$ का द्रव्यमान होगा
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अभिक्रिया ${ }_1 H ^2{ }_1 H ^3 \longrightarrow 2 He ^4+{ }_6 n ^1$ में ${ }_1 H ^2,{ }_1 H ^3$, ${ }_2 He ^4$ की बंधन ऊर्जा क्रमशः $a , b$ तथा $c ( MeV )$ में है तो इस अभिक्रिया में निकली ऊर्जा $( MeV )$ है
एक रेडियो समस्थानिक का क्षय-नियतांक $\lambda$ है। यदि इसकी समय $t_1$ और $t_2$ पर सक्रियता क्रमशः $A_1$ और $A_2$ हो तो $\left(t_1-t_2\right)$ समयावधि में क्ष्षित नाभिकों की संख्या होगी
यदि $M ( A ; Z ), M _{ p }$ और $M _{ n }$ क्रमानुसार केन्द्रक ${ }_{ Z }^{ A } X$, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के द्रव्यमान $u$ इकाई में $(1 u =931.5$ $MeV / C ^2$ ) व्यक्त करते हों और $BE$ आबन्धन ऊर्जा को $MeV$ इकाई में व्यक्त करें, तो होगा :
संलयन प्रक्रम द्वारा हाइड्रोजन की कुछ मात्रा का हीलियम में परिवर्तन होता है। इस प्रक्रम में द्रव्यमान क्षति $0.02866$ $u$ है तो, प्रति $u$ मुक्त ऊर्जा होगी :
$($ दिया है $1=931 MeV )$
इस नाभिकीय क्षय में:
${ }_{ A }^{ A } X \longrightarrow{ }_{ Z +1}^{ A } Y \longrightarrow{ }_{ Z -1}^{ A -4} B ^* \longrightarrow \stackrel{ A -4}{ Z -1} B$
उत्सर्जित कणों का क्रम होगा:-
${ }_3^7 Li$ तथा ${ }_2^4 He$ की प्रति न्यूक्लिऑन बन्धन ऊर्जा, क्रमशः $5.6 MeV$ तथा $7.06 MeV$ है तो, निम्नांकित नाभिकीय अभिक्रिया ${ }_3^7 Li +{ }_1^1 H \rightarrow{ }_2^4 He + Q$ में मुक्त ऊर्जा $Q$ का मान होगा