राठौड़ वंश के शासक मालदेव स्वतंत्रता प्रेमी एवं महत्त्वाकांक्षी प्रवृत्ति के थे। मारवाड़ के इतिहास में मालदेव का शासन काल 'शौर्य युग' कहलाता है। मालदेव ने अपनी निरंतर सैनिक विजयों और कूटनीति से मारवाड़ राज्य की सीमा का विस्तार ही किया। उन्होंने अपने शासन के दौरान कुल 52 युद्ध किए और एक साथ छोटे-बड़े 58 परगनों पर अपना प्रभुत्व जमाए रखा। मालदेव ने सर्वप्रथम भाद्राजुण को जीता, उसके बाद नागौर, मेड़ता, सिवाना व बीकानेर पर भी विजय प्राप्त की। फारसी इतिहासकारों ने मालदेव को 'हशमत वाला शासक' नाम दिया है, जिसका अर्थ ताकतवर शासक होता है। अपनी विजयों एवं राज्य विस्तार के अतिरिक्त मालदेव ने सोजत, मालकोट (मेड़ता) व पोकरण आदि दुर्गों का निर्माण भी करवाया।