निकैल का कार्य फलन $5.01 eV$ है। इसके पृष्ठ पर 200 $n m$ तरंगदैर्ध्य के पराबैंगनी प्रकाश आपतित होता है। सबसे द्रुतगामी उत्सर्जित प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन को रोकने के लिए आवश्यक विभवान्तर होगा
[2010]
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(d)
$
\begin{aligned}
K _{\text {महतम }} & =\frac{h c}{\lambda}-W=\frac{h c}{\lambda}-5.01 \\
& =\frac{12375}{\lambda(A \text { में })}-5.01 \\
& =\frac{12375}{2000}-5.01=6.1875-5.01 \\
& =1.17775 \simeq 1.2 V
\end{aligned}
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हीलियम नीयॉन लेजर $667\ nm$ तरंग दैर्ध्य का प्रकाश उत्पन्न करता है। उत्सर्जित शक्ति $9\ mW$ है। इस प्रकाश पुंज द्वारा प्रकाशित लक्ष्य पर प्रति सैकण्ड पहुँचने वाले इलैक्ट्रॉनों की मध्यमान संख्या होगी $:-$
एक मिलीग्राम द्रव्यमान का एक गतिशील कण उतना ही तरंगदैर्ध्य रखता है जितना की $3 \times 10^6\ ms ^{-1}$ चाल से चलने वाला इलेक्ट्रॉन। कण की चाल होगी:
$($इलैक्ट्रान का द्रव्यमान $=9.1 \times 10^{-31} \ kg )$
किसी इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनों को $25\ kV$ की वोल्टता से त्वरित किया जाता है। यदि वोल्टता को बढ़ा कर $100\ kV$ कर दिया जाये तो इलेक्ट्रॉनों से संबद्ध डी$-$ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य का मान :
जब किसी धात्विक पृप्ठ को तरंगदैर्ध्य $\lambda$ के विकिरणों से प्रदीप्त किया जाता है, तो निरोधी विभव $V$ है। यदि इसी पृप्ठ को तरंगदैर्ध्य $2 \lambda$ के विकिरणों से प्रदीप्त किया जाए, तो निरोधी विभव $\frac{ V }{4}$ हो जाता है। इस धात्विक पृप्ट की देइली तरंगदैर्ध्य है :