जब किसी धात्विक पृप्ठ को तरंगदैर्ध्य $\lambda$ के विकिरणों से प्रदीप्त किया जाता है, तो निरोधी विभव $V$ है। यदि इसी पृप्ठ को तरंगदैर्ध्य $2 \lambda$ के विकिरणों से प्रदीप्त किया जाए, तो निरोधी विभव $\frac{ V }{4}$ हो जाता है। इस धात्विक पृप्ट की देइली तरंगदैर्ध्य है :
[2016]
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आडंस्टिन के प्रकाश वैद्युत$-$प्रभाव के अनुसार,
$ eV =\frac{ hc }{\lambda}-\frac{ hc }{\lambda_0}$
$eV / 4=\frac{ hc }{2 \lambda}-\frac{ hc }{\lambda_0} $
समीकरण $(i)$ को समीकरण $(ii)$ से भाग देने पर
$4=\frac{\frac{1}{\lambda}-\frac{1}{\lambda_0}}{\frac{1}{2 \lambda}-\frac{1}{\lambda_0}}$ हल करने पर हमें प्राप्त होगा
$\lambda_0=3 \lambda$
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एक विद्युत चुम्बकीय विकिरण के फोटॉंन का संवेग है। $3.3$ $\times 10^{-29}\ kgm / sec$ इसकी संबंधित आवृत्ति है:
$\left( h =6.6 \times 10^{-34} Js ; c =3 \times 10^8 ms ^{-1}\right. )$
द्रव्यमान $m$ के इलेक्ट्रॉन तथा किसी फोटॉन की ऊर्जाएं $E$ एकसमान हैं। इनसे संबद्न दे$-$ब्बाग्ती तरंगदैर्घ्यों का अनुपात है :
$($यहाँ $c$ प्रकाश का वेग है।$)$
इस चित्र में एक प्रकाश सुक्रीय तल पर तीन विभिन्न विकिरणों के लिये प्रकाशीय धारा और ऐनोड विभव के बीच आरेखों को दिखाया गया है। निम्न कथनों में से किस को यथार्थ माना जायेगा?
एक इलेक्ट्रान, हाइड्रोजन परमाणु की प्रथम उत्तेजित अवस्था से उसकी निम्नतम अवस्था में संक्रमण करता है। इससे उत्सर्जित एकवर्णी विकिरण किसी प्रकाश सुग्राही पदार्थ को किरणित करता है। इसका निरोधी विभव $3.57 V$ मापा गया है। इस पदार्थ की देहली आवृत्ति है :