किसी इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनों को $25\ kV$ की वोल्टता से त्वरित किया जाता है। यदि वोल्टता को बढ़ा कर $100\ kV$ कर दिया जाये तो इलेक्ट्रॉनों से संबद्ध डी$-$ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य का मान :
[2011]
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$ \lambda \propto \frac{1}{\sqrt{ V }}$
$\Rightarrow \frac{\lambda_1}{\lambda_2}=\sqrt{\frac{ V _2}{ V _1}}=\sqrt{\frac{100 keV }{25 keV }}=2$
$\Rightarrow \lambda_2=\frac{\lambda_1}{2} $
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एक आयनीकरण बॉक्स में दो समान्तर प्लेट एनोड तथा कैथोड जिन पर $5 \times 10^7$ इलैक्ट्रॉन है। इतना ही एनोड के पास सिंगल आवेशित धनात्मक आवेश प्रति सेमी$^3$ में है इलैक्ट्रॉन एनोड की तरफ $0.4$ मी/सेकण्ड से भागते हैं तो एनोड पर धारा घनत्व $4$ माइक्रो एम्पियर / मी$^2$ होता है। धनात्मक आवेश की चाल होगी $-$
एक धातु का कार्यफलन $hv v _0$ है। यदि इस पर $2 hv _0$ की ऊर्जा का प्रकाश डाला जाए तो $4 \times 10^6$ मी/सेकण्ड की गति वाले इलैक्ट्रान बाहर निकलते हैं। यदि $5 h v_0$ ऊर्जा वाली प्रकाश डाले जाए तो निकले इलैक्ट्रान की अधिकतम गतिज ऊर्जा है
किसी धातु से प्रकाश विद्युत उत्सर्जन के लिए निरोधी (अंतक) आवृत्ति $v$ है। यदि इस धातु पर $2 v$ आवृत्ति के विकिरण आपतित हों तो, उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों का अधिकतम संभावित वेग होगा: ( $m$ इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान है।)
जब किसी धात्विक पृप्ठ को तरंगदैर्ध्य $\lambda$ के विकिरणों से प्रदीप्त किया जाता है, तो निरोधी विभव $V$ है। यदि इसी पृप्ठ को तरंगदैर्ध्य $2 \lambda$ के विकिरणों से प्रदीप्त किया जाए, तो निरोधी विभव $\frac{ V }{4}$ हो जाता है। इस धात्विक पृप्ट की देइली तरंगदैर्ध्य है :
किसी इलेक्ट्रॉन के संवेग को $P$ से परिवर्तन करने पर उससे संबद्व दे-ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य $0.5 \%$ परिवर्तित हो जाती है। इलेक्ट्रॉन का प्रारंभिक संवेग होगा :