स्टोमेटा द्वारा, वाष्पोत्सर्जन भीतरी संवहन ऊतक में एक चूषण खिंचाव उत्पन्न करता है। यह जल के स्तम्भ को ऊपर खींचने में सहायता करता है और इस प्रकार पौधे में जल तथा खनिजों के परिवहन को सुगम बनाता है। इसके अतिरिक्त, वाष्पोत्सर्जन द्वारा पौधे अपने भीतर उत्पन्न वर्ज्य पदार्थो से भी पाते हैं। अतः यह जड़ों से जल और खनिज लवणों के अवशोषण एवं उनकी पत्तियों तक ऊपर की ओर गति में सहायता करता है। यह तापमान नियंत्रण में भी सहायता करता है। जल के संवहन में मूल दाब रात्रि के समय विशेष रूप से प्रभावी है। दिन में जब रन्ध्र खुले हैं तब वाष्पोत्सर्जन कर्षण, जाइलम में जल की गति, के लिए मुख्य प्रेरक बल होता है।
कॉलम (I) | कॉलम (II) |
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(i) ट्रिप्सिन | (क) अग्नाशय |
(ii) ऐमाइलेज | (ख) यकृत |
(iii) पित्तरस | (ग) जठर ग्रंथियाँ |
(iv) पेप्सिन | (घ) लार |