जीवधारियों में विखंडन के तीन पथों की व्याख्या कीजिए।
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जिन खाद्य पदार्थों का अंतर्ग्रहण पोषण क्रम के लिए होता है कोशिकाएँ उनका उपयोग विभिन्न जैव प्रक्रमों के लिए ऊर्जा प्रदान करने के लिए करती हैं। विविध जीव इसे भिन्न विधियों द्वारा करते हैं-कुछ जीव ऑक्सीजन का उपभोग कर ग्लूकोज को पूर्णतः $CO_2$ तथा $H_2O$ में विखण्डित करते हैं जबकि कुछ अन्य जीव ऑक्सीजन रहित पथ का उपभोग करते हैं। इन सभी अवस्थाओं में पहला चरण ग्लूकोज को छः कार्बन वाले अणु से तीन कार्बन वाले अणु पाइरूवेट में विखण्डित करना होता है। यह प्रक्रम कोशिकाद्रव्य में होता है।
इसके पश्चात् या तो पाइरूवेट एथेनॉल तथा $CO_2$ में परिवर्तित हो सकता है। क्योंकि यह प्रक्रम वायु $(O_2)$ की अनुपस्थिति में होता हैं, अतः इसे अवायवीय श्वसन कहते हैं।
ऑक्सीजन की उपस्थिति में पाइरूवेट का विखण्डन माइट्रोकॉन्ड्रिया में होता है। यह प्रक्रम तीन कार्बन वाले पाइरूवेट के अणु को विखण्डित करके $CO_2$ के तीन अणुओं तथा जल में बदल देता है। क्योंकि यह प्रक्रम वायु $(O_2)$ की उपस्थिति में होता है, अतः इसे वायवीय श्वसन कहते हैं। वायवीय श्वसन में ऊर्जा का मोचन अवायवीय श्वसन की अपेक्षा बहुत अधिक होता है।
कभी-कभी जब हमारी पेशियों में ऑक्सीजन का अभाव हो जाता है, पाइरूवेट के विखण्डन के लिए दूसरा पथ अपनाया जाता है। यहाँ पाइरूवेट एक अन्य तीन कार्बन वाले अणु लैक्टिक अम्ल में परिवर्तित हो जाता है। इस क्रिया के होने से हमारी पेशियों में लैक्टिक अम्ल का निर्माण होना पेशियों में ऐंठन $($क्रैम्प$)$ का कारण हो सकता है।
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