मानवों में हृदय में से होकर रुधिर-प्रवाह का वर्णन कीजिए।
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मानव परिंसचरण तंत्र हार्मोन, ऑक्सीजन, लवण, पोषक तत्वों युक्त रूधिर का तथा सम्पूर्ण शरीर से कोशिकीय वर्ज्य पदार्थों का संवहन करता है। हृदय परिसंचरण तंत्र का मुख्य अंग है जो एक पम्प की भांति कार्य करता है। यह धमनियों, शिराओं तथा कोशिकाओं द्वारा संगठित होता है जो शरीर में रुधिर के व्यवस्थात्मक प्रवाह को संचालित करता है। निम्नांकित प्रवाह चित्र हृदय द्वारा रूधिन संचरण को प्रदर्शित करता है- सिस्टेमिक शिरा $\to $ साइनस विनोसस $\to $ दायाँ अलिन्द $\to $ दायाँ निलय पल्मोनरी धमनी $\to $ फुफ्फुस $\to $ बायाँ आलिन्द बायाँ निलय $\to $ टर्नकस अर्टियोसस $\to $ सिस्टेमिक संवहन ऑक्सीजन प्रचुर रुधिर फुस्फुस से हृदय में बाईं ओर स्थिर कोष्ठ बायाँ अलिन्द में आता है। इस रूधिर को एकत्रित करते समय बायाँ अलिन्द शिथिल रहता है। जब अगला कोष्ठ, बायाँ निलय, फैलता है तब यह संकुचित होता है जिससे रूधिर इसमें स्थानान्तरित होता है। अपनी बारी पर जब पेशीय बायाँ निलय संकुचित होता है, तब रूधिर शरीर में पंपित हो जाता है। ऊपर वाला दायाँ कोष्ठ, दायाँ अलिन्द जब फैलता है तो शरीर से विऑक्सीजनित रूधिर इसमें आ जाता है। जैसे ही दायाँ अलिन्द संकुचित होता है, नीचे वाला संगत कोष्ठ, दायाँ निलय फैल जाता है। यह रूधिर को दाऐं निलय में स्थानांतरित कर देता है जो रूधिर को ऑक्सीजनीकरण हेतु अपनी बारी पर फुफ्फुस में पंप कर देता है। हृदय का दायाँ व बायाँ बँटवारा ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रूधिर को मिलने से रोकने में लाभदायक होता है। इस तरह का बँटवारा शरीर को उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति कराता है।
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