प्रकाशनुवर्त पौधे अथवा किसी अन्य प्रकाश संश्लेषित जीव की ऐसी योग्यता है जिसके कारण वह किसी प्रकाश स्रोत की अनुक्रिया स्वरूप दिशिक गति प्रदार्शित करता है।
पृथ्वी के गुरुत्व बल के उद्दीपन के प्रति पौधे द्वारा प्रदर्शित अनुक्रिया गुरुत्वानुवर्तन कहलाती है। पौधे के किसी भाग की जल की ओर गति जलानुवर्तन कहलाती है। जब किसी विशेष रसायन की सहायता से पौधे के किस भाग में (मुड़ी हुई) गति प्रदर्शित होती है तो वह रसायनानुवर्तन कहलाती है।