राजस्थान के कुछ प्रमुख जन नायक निम्नलिखित रहे
1. गोविंद गुरु: इनका जन्म डूंगरपुर राज्य में एक साधारण बंजारा परिवार में हुआ था। ये दयानंद सरस्वती से अत्यधिक प्रभावित थे। इन्होंने सामाजिक उत्थान के उद्देश्य से संप सभा की स्थापना की। संप सभा के माध्यम से इन्होंने आदिवासियों का चारित्रिक विकास एवं सामाजिक उत्थान किया। आदिवासियों को शराब, मांस, चोरी, लूटमार आदि से दूर रहने का उपदेश दिया। इस प्रकार, गोविंद गुरु ने डूंगरपुर, बांसवाड़ा, दक्षिणी मेवाड़, सिरोही, गुजरात और मालवा के बीच के पहाड़ी प्रदेश में रहने वाले आदिवासियों को संगठित कर दिया।
2. अर्जुन लाल सेठी: इनका जन्म जयपुर में हुआ था। ये अंग्रेजी, पारसी, संस्कृत, अरबी और पाली के विद्वान थे। जयपुर में इन्होंने वर्धमान विद्यालय की स्थापना की, जहाँ देशभर के क्रांतिकारियों को समुचित प्रशिक्षण देने की व्यवस्था थी। श्री सेठी धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को देश सेवा एवं क्रांति का पाठ भी पढ़ाते थे। राजस्थान में सशस्त्र क्रांति का संगठन करने की जिम्मेदारी श्री सेठी को दी गयी।
3. केसरी सिंह बारहठ-इनका जन्म 21 नवम्बर, 1872 को शाहपुरा में हुआ था। इन्हें राजस्थान में सशस्त्र क्रांति का जनक माना जाता है। इन्होंने राजपूताने के जागीरदारों व रईसों का स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय सहयोग प्राप्त करने का कार्य किया। उदयपुर, जोधपुर व बीकानेर के राजघरानों पर केसरी सिंह बारहठ का गहरा असर था। उन्होंने 'चेतावनी रा चूंगट्या' नामक प्रसिद्ध सोरठा लिखकर मेवाड़ महाराणा को अंग्रेजों के प्रति सचेत किया।
4. विजय सिंह पथिक-इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में हुआ, इनका वास्तविक नाम भूपसिंह गुर्जर था। इन्होंने विजय सिंह पथिक के नाम से बिजोलिया किसान आंदोलन के दूसरे चरण का सफल नेतृत्व किया। सन् 1919 में इन्होंने राजस्थान सेवा संघ की स्थापना की।।
5. सेठ दामोदर दास राठी-इनका जन्म मारवाड़ के पोकरण में हुआ था। इनका बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय चर्चाओं की ओर झुकाव था। खरवा के राव गोपाल सिंह से श्री राठी की गहरी मित्रता थी। प्रथम महायुद्ध के दौरान सम्पूर्ण देश में 21 फरवरी, 1915 को क्रांति करने की योजना थी। इस हेतु, राजस्थान में अजमेर व नसीराबाद की छावनी पर कब्जा करने की जिम्मेदारी खरवा के राव गोपाल सिंह और भूपसिंह को दी गई। इस दौरान आर्थिक सहायता सेठ दामोदर दास राठी ने उपलब्ध करवाई थी। सन् 1921 में श्री राठी ने ब्यावर में आर्य समाज की नींव रखी।
6. ठाकुर जोरावर सिंह बारहठ-इनका जन्म 12 सितम्बर, 1883 को उदयपुर में हुआ। ये ठाकुर केसरी सिंह बारहठ के छोटे भाई और अमर शहीद कुंवर प्रताप सिंह के चाचा थे। चाँदनी चौक में लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंकने वाले रासबिहारी बोस के साथ ठाकुर जोरावर सिंह भी उपस्थित थे। इनको पकड़ने के लिए कोटा सरकार तथा बिहार सरकार ने भारी इनाम की घोषणा कर रखी थी। अतः ये स्नगातार भूमिगत रहे।
7. कुंवर प्रताप सिंह बारहठ-इनका जन्म 24 मई, 1893 को उदयपुर में हुआ था। ये केसरी सिंह बारहठ के पुत्र थे। इन्होंने रासबिहारी बोस के साथ क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया। इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और बरेली जेल में भेज दिया गया, जहाँ कठोर यातनाएँ दी गईं। इनसे अन्य क्रांतिकारियों के बारे में पूछताछ की गई परंतु इन्होंने अपने साथियों के बारे में नहीं बताया। अंग्रेजों की अमानुषिक यातनाओं का शिकार होकर बरेली जेल में अल्पायु में ही शहीद हो गये।
8. राव गोपाल सिंह खरवा-इनका जन्म 19 अक्टूबर, 1872 को राजस्थान में अजमेर के समीप हुआ। ये खरवा स्टेट के प्रशासक थे। इन्होंने राजस्थान में सशस्त्र क्रांति के दौरान विजयसिंह पथिक का पूर्ण सहयोग किया । क्रांति की योजना विफल हो गयी और इन दोनों को टॉडगढ़ किले में नजरबंद कर दिया गया। कुछ दिनों बाद भाग निकले परंतु पुनः सलेमाबाद में पकड़ लिए गए और तिहाड़ जेल भेज दिए गए। सन् 1920 में रिहा होने पर रचनात्मक कार्यों में संलग्न हो गए।