पं. जवाहरलाल नेहरू का कथन था कि किसी भी स्थान पर जन आंदोलन तभी आरम्भ किया जा सकता है जब वहाँ की जनता तैयार एवं एकजुट हो। अत: राजस्थान की विभिन्न रियासतों में प्रजामंडल स्थापित किए गए, ताकि वहाँ की प्रजा अर्थात् जन सामान्य को संगठित किया जा सके।
राजस्थान की प्रमुख रियासतों में प्रजामंडलों की स्थापना निम्नवत् हुई
1. मारवाड़ प्रजामंडल: सन् 1934 में भंवरलाल सर्राफ की अध्यक्षता में जयनारायण व्यास ने जोधपुर में मारवाड़ प्रजामंडल की स्थापना की। इस प्रजामंडल आंदोलन को गति देने हेतु सन् 1938 में रणछोड़ दास गट्टारी की अध्यक्षता में मारवाड़ लोक परिषद् का गठन किया गया।
2. जयपुर प्रजामंडल-यह राजस्थान का पहला प्रजामंडल था। इसकी स्थापना सन् 1931 में कर्पूरचंद पारगी एवं जमनालाल बजाज के प्रयासों से हुई। सन् 1936 में इस प्रजामंडल का पुनर्गठन हुआ तथा चिरंजीलाल मिश्र के नेतृत्व में इसने कार्य करना शुरू किया। सन् 1938 में जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में पहला अधिवेशन हुआ। आगे चलकर हीरालाल शास्त्री भी जयपुर प्रजामंडल के अध्यक्ष बने। इस प्रजामंडल ने रियासत में उत्तरदायी शासन की स्थापना की माँग रखी।
3. मेवाड़ राज्य प्रजामंडल-बलवंत सिंह मेहता की अध्यक्षता में 24 अप्रैल, 1938 को मेवाड़ राज्य प्रजामंडल स्थापित किया गया। माणिक्यलाल वर्मा ने इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई । इस प्रजामंडल ने महाराणा पर निरंतर दबाव डाला कि वे अंग्रेजों से संबंध न रखें। स्वतंत्रता संघर्ष में भी प्रजामंडल की सक्रिय भूमिका रही।
4. बीकानेर राज्य प्रजामंडल-सन् 1936 में बीकानेर राज्य प्रजामंडल की स्थापना मघाराम वैद्य ने की। राय सिंह नगर में 30 जून, 1946 को प्रजामंडल का खुला अधिवेशन किया गया।
5. कोटा राज्य प्रजामंडल-इस हाडौती प्रजामंडल की स्थापना नयनूलाल ने अभिन्न हरि, तनसुख लाल आदि के सहयोग से की। मई 1939 में कोटा में पं. नयनूराम की अध्यक्षता में प्रजामंडल का अधिवेशन हुआ। कोटा राज्य प्रजामंडल के कार्यकर्ताओं ने भी भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया तथा उत्तरदायी शासन की मांग रखी।
6. अन्य प्रजामंडल-उपर्युक्त सभी प्रमुख रियासतों के अतिरिक्त पूर्वी राजस्थान के राज्यों में भी प्रजामंडल आंदोलन की गतिविधियाँ समानांतर रूप से संचालित की जाती रहीं। इन सभी राज्यों में उत्तरदायी शासन की संयुक्त माँग उठी।