सूती वस्त्र उद्योग: यह राजस्थान में कृषि आधारित मुख्य वृहद उद्योगों में से एक है। सूती वस्त्र उद्योग राजस्थान का प्राचीन, परम्परागत, संगठित एवं सर्वाधिक रोजगार देने वाला उद्योग है। इस हेतु कपास की खेती की जाती है, जब कपास पक जाते हैं तो उसे बीज से अलग कर रोएं निकाल लिए जाते हैं। रुई को छोटी-छोटी गुच्छी बनाकर चरखे पर काती जाती है जिससे सूत के धागे प्राप्त होते हैं। इन धागों को पहले रंग कर ताने बनाए जाते हैं, फिर ताने को खड्डी पर चढ़ाकर कपड़ा बना लिया जाता है। बड़े उद्योगों में सूती वस्वों का निर्माण मशीनों द्वारा बड़े स्तर पर किया जाता है।
राजस्थान में प्रथम सूती वस्त्र मिल की स्थापना सन् 1889 में ब्यावर में की गई। वर्तमान में ब्यावर, भीलवाड़ा, जयपुर, किशनगढ़, पाली, हनुमानगढ़, कोटा, गंगानगर, विजयनगर आदि में सूती वस्त्र की मिलें स्थापित हैं। भीलवाड़ा को वस्व नगरी के नाम से भी जाना जाता है।