वैधानिक रूप से किसी राज्य अथवा देश की सीमा के अंदर पाए जानेवाले समस्त संसाधनों को राष्ट्रीय संसाधन कहा जाता है। प्राचीनकाल में राजाओं को राज्य की संपत्ति का स्वामी माना जाता था। वर्तमान समय में यह अधिकार सरकार के पास है। आवश्यकता पड़ने पर सड़क या रेल लाइन बिछाने, नहरों और कारखानों अथवा सरकारी कार्यालयों के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण करना अनिवार्य हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में यानी राष्ट्रीय महत्त्व के निर्माण कार्य या विकासात्मक कार्य के लिए सरकार द्वारा जब निजी अथवा सामुदायिक संसाधन का अधिग्रहण किया जाता है तब वह राष्ट्रीय संसाधन बन जाता है। इसी तरह, सागरतट से 19.2 किलोमीटर दूर तक का भाग भी राष्ट्रीय संसाधन में शामिल है।