सामान्य तौर मानवीय उपयोग में आनेवाली सभी वस्तुएँ संसाधन कहलाती हैं। जैसे भूमि, मृदा, जल, वायु, खनिज, जीव, प्रकाश इत्यादि। वर्तमान परिवेश में सेवाओं को भी संसाधन माना गया है। जैसे-गायक, कवि, चित्रकार इत्यादि की सेवा।।
वस्तुतः संसाधन का अर्थ बहुत ही व्यापक है। प्रसिद्ध भूगोलविद ‘जिम्मरमैन’ के अनुसा -“संसाधन होते नहीं, बनते हैं।