रॉलेट एक्ट- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन की बढ़ती हुई लोकप्रियता से ब्रिटिश सरकार बड़ी चिन्तित थी। अतः उसने राष्ट्रवादियों के दमन के लिए एक कठोर कानून बनाने का निश्चय किया। मार्च, 1919 में इम्पीरियल लेजिस्लेटिव कौंसिल ने रॉलेट एक्ट पारित किया। इस कानून के द्वारा ब्रिटिश सरकार को राजनीतिक गतिविधियों का दमन करने तथा राजनीतिक बन्दियों को दो वर्ष तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बन्द रखने का अधिकार मिल गया था। इससे भारतीयों में तीव्र आक्रोश उत्पन्न हुआ।
गांधीजी द्वारा रॉलट एक्ट का विरोध- गांधीजी ने रॉलेट एक्ट का घोर विरोध किया और इसके विरुद्ध सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का निश्चय किया। उन्होंने सम्पूर्ण देश में 6 अप्रेल, 1919 को हड़ताल करने का आह्वान किया। गांधीजी के आह्वान पर विभिन्न स्थानों पर हड़ताल की गई और रैली-जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे वर्कशॉप्स में श्रमिक हड़ताल पर चले गए।
ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति- ब्रिटिश सरकार ने इस जन-आन्दोलन को कुचलने के लिए दमनकारी नीति अपनाई । सरकार ने अमृतसर में अनेक राष्ट्रवादी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। गांधीजी के दिल्ली में प्रवेश करने पर पाबन्दी लगा दी गई। जनरल डायर द्वारा जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड को अंजाम दिया गया।