सजातपुष्पी परागण व परनिषेचन दोनों में परागण क्रिया के लिए किसी अभिकर्ता की आवश्यकता होती है तथा इसमें दो अलग-अलग पुष्प भाग लेते हैं अतः इस दृष्टि से ये क्रियात्मक रूप से समान है।
सजातपुष्पी परागण व स्वयुग्मन में भाग लेने वाले पुंकेसर व स्त्रीकेसर आनुवांशिक रूप से समान होते हैं। अतः इन दोनों प्रक्रियाओं से आनुवांशिक विभिन्नता उत्पन्न नहीं होती है।