जाति आर्थिक हैसियत के निर्धारण में आज भी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यथा-
औसत आर्थिक हैसियत अभी भी जाति व्यवस्था (वर्ण व्यवस्था) के साथ गहरा सम्बन्ध दर्शाती है; क्योंकि ऊँची जाति के लोगों की आर्थिक स्थिति सबसे अच्छी है, दलित और आदिवासियों की आर्थिक स्थिति सबसे खराब है, जबकि पिछड़ी जातियाँ बीच की स्थिति में हैं।
गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वालों में ज्यादा बड़ी संख्या सबसे निचली जातियों के लोगों की है। ऊँची जातियों में गरीबी का प्रतिशत सबसे कम है और पिछड़ी जातियों की स्थिति बीच की है।
आज सभी जातियों में अमीर लोग हैं, लेकिन यहाँ भी ऊँची जाति वालों का अनुपात ज्यादा है और निचली जातियों का कम।