गैर सरकारी संगठन 'सुलभ इन्टरनेशनल' पिछले लगभग पाँच दशक से निम्न जाति, निम्न आय वर्ग के लोगों के सामने मौजूद स्वच्छता के अभाव की समस्या से निपटने के लिए कोशिश कर रहा है। इसने 8,500 से ज्यादा सामुदायिक शौचालय इकाइयाँ और 15,00,000 से ज्यादा घरेलू शौचालय बनाए हैं जिससे दो करोड़ लोग इन सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। सुलभ की सुविधाओं का इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर गरीब और मेहनतकश वर्ग के लोग होते हैं। शहरों में इन शौचालयों के इस्तेमाल पर दो रुपया शुल्क लिया जाता है। स्थानीय विभाग इन सेवाओं की स्थापना के लिए जमीन और पैसा मुहैया कराते हैं जबकि रख-रखाव की लागत कई बार प्रयोक्ताओं से मिलने वाले पैसे से पूरी की जाती है।