सबसे पहले समाज के विभिन्न समूह ही किसी खास कानून के लिए आवाज उठाते हैं। वे जनता की चिंताओं को कानून के दायरे में लाने के लिए संसद को जागरूक करते हैं। नागरिकों की यह आवाज टेलीविजन रिपोर्टों, अखबारों के संपादकीयों, रेडियो प्रसारणों और आमसभाओं के जरिये सुनी और व्यक्त की जा सकती है। इन सारे संचार माध्यमों के जरिये संसद का कानून निर्माण का कार्य ठोस और पारदर्शी तरीके से जनता के सामने आता है।