स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने मजदूरों की स्थिति में सुधार के लिए ‘न्यूनतम मजदूरी कानून बनाकर मजदूरी दरों को निश्चित किया, जिससे उनकी स्थिति में और सुधार आने लगा। उनके काम के घंटों में कमी की गयी, साप्ताहिक अवकाश दिया गया, काम के दौरान घायल हुए श्रमिकों को मुआवजा देने का नियम भी बनाया गया जिससे मजदूरों की स्थिति पहले से सुधरी।