स्वतंत्रता से पूर्व राजस्थान में जागीदारी व्यवस्थास्वतन्त्रता से पूर्व मध्यकाल का राजस्थान का संपूर्ण शासन तंत्र राजा और जागीरदारी व्यवस्था पर आधारित था। राजस्थान की जागीरदारी व्यवस्था रक्त सम्बन्ध एवं कुलीय भावना पर आधारित, प्रशासनिक और सैनिक व्यवस्था थी। राजस्थान की जागीरदारी व्यवस्था में राजा की मृत्यु के बाद बड़ा पुत्र राजा बनता था। राजा अपने छोटे भाइयों को जीवनयापन के लिए भूमि आवंटित करता, भाई-बंधु को दी गई इस भूमि का स्वामी जागीरदार कहलाता था। जागीरदार का कार्य उस जागीर की सुरक्षा एवं उसका शासन संचालन था। बाद के समय में योग्यता के आधार पर भी जागीरें प्रदान की जाने लगीं। महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर जागीरदारों को नियुक्त किया जाता था। राजा और जागीरदार के सम्बन्ध भाईचारे एवं सौहार्द्र पर आधारित होते थे। मुगल काल में शासकों की जागीरदारों पर निर्भरता कम हो गई थी।