तार की एक वृत्ताकार कुण्डली में 100 फेरे हैं, प्रत्येक की त्रिज्या 8.0 सेमी. है और इनमें 0.40 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण क्या है?
Exercise - 4.1
Download our app for free and get startedPlay store
SELF STUDY
art

Download our app
and get started for free

Experience the future of education. Simply download our apps or reach out to us for more information. Let's shape the future of learning together!No signup needed.*

Similar Questions

  • 1
    दो समकेन्द्रिक वृत्ताकार कुंडलियाँ X और Y जिनकी त्रिज्याएँ क्रमश : 16 सेमी. एवं 10 सेमी. हैं, उत्तर-दक्षिण दिशा में समान ऊर्ध्वाधर तल में अवस्थित हैं। कुंडली X में 20 फेरे हैं और इसमें 16 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, कुंडली Y में 25 फेरे हैं और इसमें 18 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। पश्चिम की ओर मुख करके खड़ा एक प्रेक्षक देखता है कि X में धारा प्रवाह वामावर्त है जबकि Y में दक्षिणावर्त है। कुंडलियों के केन्द्र पर, उनमें प्रवाहित विद्युत धाराओं के कारण उत्पन्न कुल चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण एवं दिशा ज्ञात कीजिए।
    View Solution
  • 2
    6$ \times 10^{-4} \mathrm{~T}$के चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत 3 $\times 10^{7} $m/s की चाल से गतिमान किसी इलेक्ट्रॉन (द्रव्यमान 9 $\times 10^{-31} \mathrm{~kg}$ तथा आवेश 1.6 $\times 10^{-19} \mathrm{C}$) के पथ की त्रिज्या क्या है? इसकी क्या आवृत्ति होगी? इसकी ऊर्जा KeV में परिकलित कीजिए। $\left(1 \mathrm{eV}=1.6 \times 10^{-19} \mathrm{~J}\right)$
    View Solution
  • 3View Solution
  • 4
    10 cm त्रिज्या की 100 कसकर लपेटे गए फेरों की किसी ऐसी कुंडली पर विचार कीजिए जिससे 1 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण क्या है?
    View Solution
  • 5
    एक आवेशित कण, एक ऐसे शक्तिशाली असमान चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है जिसका परिमाण एवं दिशा दोनों एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु पर बदलते जाते हैं, एक जटिल पथ पर चलते हुए इसके बाहर आ जाता है। यदि यह मान लें कि चुम्बकीय क्षेत्र में इसका किसी भी दूसरे कण से कोई संघट्ट नहीं होता तो क्या इसकी अंतिम चाल, प्रारंभिक चाल के बराबर होगी?
    View Solution
  • 6
    1. किसी चिकने क्षैतिज तल पर कोई विद्युत धारावाही वृत्ताकार पाश रखा है। क्या इस पाश के चारों ओर ऐसा चुंबकीय क्षेत्र स्थापित किया जा सकता है कि यह पाश अपने अक्ष के चारों ओर स्वयं चक्कर लगाए (अर्थात ऊर्ध्वाधर अक्ष के चारों ओर)।
    2. कोई विद्युत वाही वृत्ताकार पाश किसी एकसमान बाह्य चुंबकीय क्षेत्र में स्थित है। यदि यह पाश घूमने के लिए स्वतंत्र है, तो इसके स्थायी संतुलन का दिक्विन्यास क्या होगा। यह दर्शाइए कि इसमें कुल क्षेत्र (बाह्य क्षेत्र + पाश द्वारा उत्पन्न क्षेत्र) का फ्लक्स अधिकतम होगा।
    3. अनियमित आकृति का कोई विद्युत धारावाही पाश किसी बाह्य चुंबकीय क्षेत्र में स्थित है। यदि तार लचीला है तो यह वृत्ताकार आकृति क्यों ग्रहण कर लेता है?
    View Solution
  • 7
    किसी प्रकोष्ठ में एक ऐसा चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया गया है जिसका परिमाण तो एक बिन्दु पर बदलता है, पर दिशा निश्चित है (पूर्व से पश्चिम)। इस प्रकोष्ठ में एक आवेशित कण प्रवेश करता है और अविचलित एक सरल रेखा में अचर वेग से चलता रहता है। आप कण के प्रारम्भिक वेग के बराबर में क्या कह सकते हैं।
    View Solution
  • 8
    एक प्रकोष्ठ में $6.5 G \ (1 G = 10^{-4}T)$ का एकसमान चुंबकीय क्षेत्र बनाए रखा गया है। इस चुंबकीय क्षेत्र में एक इलेक्ट्रॉन $4.8 \times 10^6 ms^{-1}$ के वेग से क्षेत्र के लंबवत भेजा गया है। वृत्ताकार कक्षा में इलेक्ट्रॉन की परिक्रमण आवृत्ति प्राप्त कीजिए। क्या यह उत्तर इलेक्ट्रॉन के वेग पर निर्भर करता है? व्याख्या कीजिए।
    View Solution
  • 9
    1.5 T का एक एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र, 10.0 सेमी. त्रिज्या के बेलनाकार क्षेत्र में विद्यमान है। इसकी दिशा अक्ष के समान्तर पूर्व से पश्चिम की ओर है। एक तार जिसमें 7.0 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है इस क्षेत्र में होकर उत्तर से दक्षिण की ओर गुजरती है। तार पर लगने वाले बल का परिमाण और दिशा क्या है, यदि
    1. तार अक्ष को काटता हो,
    2. तार N-S दिशा से घुमाकर उत्तर-पूर्व दिशा में कर दिया जाए,
    3. N-S दिशा में रखते हुए ही तार को अक्ष से 6.0 सेमी. नीचे उतार दिया जाए।
    View Solution
  • 10
    $10 \ cm$ त्रिज्या की किसी कुंडली जिसमें पास$-$पास सटे $100$ फेरे हैं, में $3.2\ A$ विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है।
    1. कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र कितना है?
    2. इस कुंडली का चुंबकीय आघूर्ण क्या है?
      यह कुंडली ऊर्ध्वाधर तल में रखी है तथा किसी क्षैतिज अक्ष जो उसके व्यास से संरेखित है, के परित: घूर्णन करने के लिए स्वतंत्र है। एक $2T$ का एकसमान चुंबकीय क्षेत्र क्षैतिज दिशा में है जो इस प्रकार है कि आरंभ में कुंडली का अक्ष चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में है। चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव में कुंडली $90^\circ$ के कोण पर घूर्णन कर जाती है।
    3. आरंभिक तथा अंतिम स्थिति में कुंडली पर बल आघूर्ण के परिमाण क्या हैं?
    4. $90^\circ$ पर घूर्णन करने के पश्चात कुंडली द्वारा अर्जित कोणीय चाल कितनी है? कुंठली का जड़त्व आघूर्ण $ 0.1 \ kg\  m^2$ है।
    View Solution