उधार लेना कभी तो मजबूरी है, तो कभी सुविधा । उदाहरण देकर ‘समझाएँ।
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जब कभी अगर हम बाजार गए और हमारे पास पैसे नहीं है और हमें कोई वस्तु सस्ते दामों पर मिल जाए तो, हम कोशिश करते हैं कि उस वक्त हमें वे समान उधार में मिल जाए और अगर हमें वह वस्तु उधार में मिल जाता है तो उस वक्त उधार हमारे लिए सुविधा बन जाता है। पर अगर हमें किसी वस्तु की सख्त जरूरत हो पर उस वक्त हमारे पास पैसे नहीं हो तो उधार लेना हमारी मजबूरी बन जाती है जबकि हमें पता होता है कि उधार लेने की वजह से हमें उस वस्तु की थोड़ी अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।
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