उर्वरक उद्योगों में बनने वाले अपशिष्ट पदार्थों के प्रबंधन के लिए उपयुक्त विधि/विधियों का सुझाव दीजिए।
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उर्वरक, रसायन अथवा कीटनाशी बनाने वाली फैक्ट्रियों में उत्पन्न होने वाले मुख्य प्रदूषण बहिःस्राव तथा हानिकारक गैसें हैं। इन अपशिष्ट पदार्थों के प्रबन्धन के लिए उपयुक्त विधियाँ निम्नलिखित हैं:
गैसीय प्रदूषकों को कम करने के लिए सामान्यतः
इलेक्ट्रोस्टेटिक अवक्षेपकों$- \text{(ESP)}$ का प्रयोग किया जाता है। $\text{ESP}$ विपरीत आवेशों को एक$-$दूसरे की ओर आकर्षित होने के सिद्धान्त पर कार्य करता है। जब अधजले कोयले तथा कार्बन के कणों $SO_2, NO_2$ आदि से युक्त गैसीय प्रदूषक जब चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तब राख के कण आवेशित होकर विद्युत क्षेत्र द्वारा उत्पन्न बल के कारण संग्रहण प्लेटों की ओर आकर्षित हो जाते है। इस प्रकार वायुमण्डल में गैसीय बहिःस्राव कम हो जाता है।
इसके अतिरिक्त, उर्वरक उद्योग द्वारा उत्पादित अपशिष्ट जल प्रदूषकयुक्त होता है। जो हमारे प्राकृतिक जल संसाधनों को प्रदूषित कर सकता है। उद्योगों से निष्कासित गंदे पानी के निपटान के लिए प्रवाह उपचार संयंत्र $\text{(ETP)}$ स्थापित किया जाता है। $\text{EPT}$ का प्रयोग गंदे पानी से किसी भी विषैलै पदार्थों अथवा रसायनों को हटाकर उसके शुद्धिकरण के लिए किया जाता है। इसमें वाष्पोत्सर्जन तथा सुखाने की विधियों तथा अन्य सहायक विधियों जैसे अपकेन्द्रीकरण, छानक, रासायनिक प्रक्रमों के लिए भस्मीकरण तथा प्रवाह उपचार का प्रयोग किया जाता है। अपचारित जल का प्रयोग औद्योगिक प्रक्रमों तथा सिंचाई के लिए किया जा सकता है।
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