विकास की प्रगतिशील परम्परा शारीरिक डिजाइन में अधिक से अधिक जटिल प्रतीत होती है और लम्बे समयातराल के बाद प्रकट हुई है। उदाहरणार्थ, अकशेरूकियों से कशेरूकियों तक शारीरिक आकार, रूप तथा संरचना में जटिलता तथा विविधता में अत्यधिक वृद्धि हुई है। परन्तु आण्विक स्तर पर, विविधता युक्त ये जीव अविश्वसनीय रूप से समानताएँ भी रखते हैं। उदाहरणार्थ, सभी जीवों में DNA का रासायनिक संगठन मूल रूप में समान होता है (नाइट्रोजन बेस के क्रम को छोड़कर)। अन्य जैव अणु जैसे RNA, प्रोटीन आदि, सभी जीवों में ध्यानाकर्षक समानताएँ भी दर्शाति हैं।
आकारिकीय संरचनाएँ, किसी जीव की वे संरचनाएँ हैं जो हमें सरलता से दिखाई देती हैं। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, आण्विक संरचनाएँ आण्विक स्तर पर होती हैं। हम जानते हैं कि किसी जीव को बनाने के लिए विविध जैव अणुओं की आवश्यकता होती है। अतः हम सदैव हर जगह जो विविधताएँ देखते हैं उनका कारण जीवों को आकारिकीय संरचनाओं में उपस्थित विविधताएँ हाँ। जीवन एककोशिकीय जीवों के रूप में प्रारम्भ होता है। विकास के फलस्वरूप, यह अनेक जटिल जीवों में विकसित हो जाता है। अतः यह कहा जा सकता है कि आकारिकीय संरचनाएँ सबसे कम स्थायित्व प्रदर्शित करती हैं। हालांकि आकारिकीय सरंचनाएँ कारिकीय सरंचनाओं में बदलाव का नतीजा होती है लेकिन फिर भी कारिकीय संरचनाओं का आधार सामान ही पाया जाता है। जब हम आण्विक स्तर पर देखते हैं पाते हैं कि सभी जीव एकसमान जैवअणुओं से बने हैं। DNA, प्रोटीन्स, लिपिड्स, कार्बोहाइड्रेट्स आदि सभी जीवों में पाए जाते हैं। प्रत्येक जीव में DNA की संरचना समान है यद्यपि भिन्न-भिन्न जीवों में DNA की संख्या अलग-अलग होती है। जीव के प्रकार से असंबोधित, DNA अणु या प्रोटीन के अणु की संरचना समान होगी। अतः यह कहा जा सकता है कि आण्विक संरचनाएँ, आकारिकीय संरचनाओं की अपेक्षा अधिक स्थायित्व प्रदर्शित करती हैं।