विकास की प्रक्रिया के साथ-साथ लोगों का उपयोग भी बढ़ता जाता है तथा वे वस्तुओं एवं सेवाओं का ज्यादा उपयोग करने लगते हैं। विकास की धारणीयता का तात्पर्य विकास के स्तर को ऊँचा उठाना तथा विकास के वर्तमान प्रकार एवं स्तर को भावी पीढ़ी हेतु बनाए रखने से है ताकि वे भी बेहतर जीवन जी सकें। किन्तु यह अत्यन्त जटिल कार्य है। इस हेतु हमें नवीकरणीय तथा गैर-नवीकरणीय साधनों का सोच-समझकर उपयोग करना होगा ताकि वे भावी पीढ़ी हेतु बचे रहें। साथ ही हमें प्रयास करना होगा कि नए संसाधनों की भी खोज की जाए। विकास की धारणीयता से पर्यावरण संरक्षण एवं पारिस्थितिकीय सन्तुलन को भी बल मिलता है।