(a) अगर एक जीवित केंचुए की बाहरी सतह को उसकी आंत को नुकसान पहुंचाए बिना एक सूई से चुभाया जाए तो जो द्रव बाहर आएगा वो देहगुहीय द्रव होगा क्योंकि देहगुहीय द्रव देह भित्ति और आहार नाल के बीच स्थित होता है। केंचुए मनुष्य के लिए मददगार होते हैं क्योंकि उनका उपयोग मछली पकड़ने में चारे के रूप में होता है तथा ये मिट्टी को जड़ के विकास के लिए ढीला करते हैं। केंचुए का उत्सर्जी पदार्थ मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है।