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नाभिकीय संलयन अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं। सूर्य में होने वाली अभिक्रिया के प्रोटोन-प्रोटोन चक्र को समझाइए । इस अभिक्रिया को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, क्यों? समझाइए
किसी ac वोल्टता $V =0.5 \sin (100 \pi t)$ वोल्ट को बारी-बारी से किसी अर्ध तरंग दिष्टकारी तथा पूर्ण तरंग दिष्टकारी के सिरों से संयोजित किया गया है। इनके सिरों पर निर्गत वोल्टता की आवृत्ति क्रमशः होगी-
किसी दिए ताप पर किसी अर्धचालक में नैज आवेश वाहकों की संख्या $2.0 \times 10^{10} cm^{-3}$ है। इसका मादन पंचसंयोजक अपद्रव्यी परमाणुओं से किया गया है। इसके परिणामस्वरूप इसमें विवरों (होलों) की संख्या $8 \times 10^3 cm^{-3}$ हो जाती है। इस अर्धचालक में इलेक्ट्रॉनों की संख्या है-
ग्र बायस में P-N सन्धि डायोड के P अर्ध चालक का सम्बन्ध बैटरी के ‾‾‾‾‾‾‾‾‾‾‾‾ से किया जाता है। अग्र बायस में $P - N$ सन्धि डायोड के N अर्ध चालक का समबन्ध बैटरी के ‾‾‾‾‾‾‾‾‾‾‾‾ से किया जाता है।
दिष्टकरण से क्या तात्पर्य है?परिपथ चित्र बनाकर P-Nसंधि डायोड़ के पूर्ण तरंग दिष्टकारी परिपथ की कार्यविधि समझाइए।निवेषी व निर्गत वोल्टता के तरंग रूप का निरूपण भी कीजिए।
दिष्टकरण से क्या तात्पर्य है?एक अर्द्ध तरंग दिष्टकारी विद्युत परिपथ का चित्र बनाइए। इसकी कार्यप्रणाली का संक्षिप्त विवरण लिखिए। इस दिष्टकारी परिपथ के लिए निवेषी वोल्टता तथा निर्गत वोल्टता के तरंग रूप का चित्र बनाइए।
$p-n$ सध्धि डायोड के अग्रदिषिक बायस एवं पष्च दिषिक बायस से क्या तात्पर्य है? $p-n$ सन्धि डायोड के अग्रदिषिक बायस एवं पष्च दिषिक बायस में V-।अभिलाक्षणिक के अध्ययन के लिए प्रायोगिक विद्युत परिपथ आरेख बनाइए। $p$ - $n$ सन्धि डायोड के अग्रदिषिक बायस एवं पष्च दिषिक बायस से V-।अभिलाक्षणिक वक्र बनाइए और निम्न का संक्षिप्त व्याख्या कीजिए- i. देहली या कट इन वोल्टता ii. भंजन वोल्टता
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