किसी इलेक्ट्रॉन के संवेग को $P$ से परिवर्तन करने पर उससे संबद्व दे-ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य $0.5 \%$ परिवर्तित हो जाती है। इलेक्ट्रॉन का प्रारंभिक संवेग होगा :
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धातु के किसी पृष्ठ पर आपतित विकिरणों की ऊर्जा को $20 \%$ बढ़ाने पर, उससे उत्सर्जित फोटो इलेक्ट्रॉनों $($प्रकाश विद्युत इलेक्ट्रॉनों$)$ की गतिज उर्जा $0.5\ eV$ से बढ़कर $0.8\ eV$ हो जाती है। इस धातु का कार्य फलन है
एक धातु का कार्यफलन $hv v _0$ है। यदि इस पर $2 hv _0$ की ऊर्जा का प्रकाश डाला जाए तो $4 \times 10^6$ मी/सेकण्ड की गति वाले इलैक्ट्रान बाहर निकलते हैं। यदि $5 h v_0$ ऊर्जा वाली प्रकाश डाले जाए तो निकले इलैक्ट्रान की अधिकतम गतिज ऊर्जा है
किसी धातु से प्रकाश विद्युत उत्सर्जन के लिए निरोधी (अंतक) आवृत्ति $v$ है। यदि इस धातु पर $2 v$ आवृत्ति के विकिरण आपतित हों तो, उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों का अधिकतम संभावित वेग होगा: ( $m$ इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान है।)
फोटो-इलैक्ट्रिक सेल के कैथोड पर 300 नैनो मीटर तरंगदैर्ध्य का प्रकाश डाला जाता है तो फोटोइलैक्ट्रान निकलते हैं। जबकि दूसरे सेल के लिए यही काम 600 नैनो मीटर तरंगदैध्ध्य से होता है। दोनों के कार्यफलनों की तुलना करो।
एक इलेक्ट्रान, हाइड्रोजन परमाणु की प्रथम उत्तेजित अवस्था से उसकी निम्नतम अवस्था में संक्रमण करता है। इससे उत्सर्जित एकवर्णी विकिरण किसी प्रकाश सुग्राही पदार्थ को किरणित करता है। इसका निरोधी विभव $3.57 V$ मापा गया है। इस पदार्थ की देहली आवृत्ति है :