आवेश $q$ का एक कण त्रिज्या $R$ के वृत्ताकार मार्ग में चाल $v$ के साथ चल रहा है। इससे सम्बन्धित चुम्बकीय आघूर्ण $\mu$ का मान होगा-
[2007]
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$(d)$ चुम्बकीय$-$आघूर्ण $= IA$
$ =\frac{ q }{\left(\frac{2 \pi R }{ v }\right)} \cdot\left(\pi R ^2\right)[\because I =\frac{ q }{ T }$ तथा $T =\frac{2 \pi R }{ v }]$
$=\frac{ qv }{2 \pi R } \cdot \pi R ^2=\frac{ qv R }{2} $
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द्रव्यमान $m$, आवेश $Q$ और गतिज ऊर्जा $T$ का एक कण उत्प्रेरण $\overrightarrow{ B }$ के अनुप्रस्थ अचर चुम्बकीय फील्ड ( क्षेत्र) में प्रवेश करता है। तीन सैकण्ड के उपरान्त इस कण की गतिज ऊर्जा होगी :
एक साइक्लोट्रान का उपयोग प्रोट्रोनों $($द्रव्यमान $=m )$ को त्वरित करने के लिये किया जा रहा है। इसके डीज $($त्रिज्या $R )$ पर $v$ आवृत्ति का एक प्रत्यावर्ती विद्युत क्षेत्र लगाया जाता है तो, साइक्लोट्रॉन में प्रयुक्त प्रचालन चुम्बकीय क्षेत्र $(B)$ तथा उत्पन्न प्रोटॉन किरणपुंज की गतिज ऊर्जा $(K)$ होगी :
समकोण समद्विबाहु त्रिभुज के आकार के एक बन्द पाश $ABC$ में विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। इसे किसी एकसमान $AB$ दिशा के अनुदिश चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है। यदि भुजा $BC$ पर चुम्बकीय बल $\overrightarrow{ F }$ हो तब भुजा $AC$ पर बल होगा:
एक वर्गाकार पाश (लूप) को, जिससे विद्युतधारा प्रवाहित हो रही है, किसी एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में लटकाया गया है। चुम्बकीय क्षेत्र पाश (लूप) के समतल में कार्य करता है। यदि पाश की किसी एक भुजा पर $\vec{F}$ बल लगता है तो, शेष तीन भुजाओं पर नेट बल है
एक लम्बे तार से एक, एक फेरे वाली कुण्डली तथा फिर उसी तार से 2 फेरों वाली कुण्डली बनायी जाती है। यदि दोनों में प्रवाहित धारा एक समान है तो उनके केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र तीव्रताओं का अनुपात होगा-
किसी प्रोटॉन की गतिज ऊर्जा $1 MeV$ है। यह किसी एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में $R$ त्रिज्या के वृत्ताकार पथ में गति कर रहा है तो, किसी $\alpha$-कण की ऊर्जा कितनी होनी चाहिये ताकि वह उसी क्षेत्र में उसी त्रिज्या के पथ में गति कर सके?