अध्याय में वर्णित तीन सहकारी समितियों में से मुझे ‘दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति’ सर्वाधिक उपयोगी जान पड़ती है। कारण कि ऐसी समिति के गठन से अच्छी गुणवत्ता का दूध उचित मूल्य पर शहरों में, घर-घर तक उपलब्ध हो जाता है, जिसके बिना हमारा काम नहीं चल सकता ।
गाँवों में तो दूध की उपलब्धता खटालों से हो भी जाती है पर शहरों में उतने खटाल होना संभव ही नहीं हैं जो पूरे शहर की दुग्ध आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाएँ। वह भी अच्छी क्वालिटी का और उचित दर पर और निर्धारित समय पर । दुग्ध
बूथों पर फौरन पैकेट का दूध ले लेने से खटाल में जाकर देर तक गाय दुहाने तक इंतजार करने का समय भी बच जाता है।