दुधिया सिर्फ अपने अकेले के निचली व्यापार की बात सोचता है। उसका काम उसी से शुरू होकर उसी पर खत्म हो जाता है। अपने काम के पूरे लाभ व पूरी हानि का भागीदार वह स्वयं होता है। जबकि समिति सामूहिक व्यापार व सामूहिक हितों व लाभ का समान वितरण के बारे में सोचती है। समिति एक बैंक की तरह भी काम करती है और सरकार के एक अत्यन्त छोटी इकाई की तरह भी काम करती है। जिसका उद्देश्य अपने सभी सदस्यों की मुश्किलों को दूर करना व उनका संरक्षक बन संकट में उन्हें पिता की तरह बल देना है। समिति सामूहिक हित पर ध्यान देती है जबकि दूधिया निजी हित पर।
Download our app
and get started for free
Experience the future of education. Simply download our apps or reach out to us for more information. Let's shape the future of learning together!No signup needed.*
सहकारी समितियों के काम-काज में कौन-कौन-सी मुश्किलें आती हैं? आपके विचार में इन मुश्किलों को हल करने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है? मान लीजिए आप मधुरापुर महिला दुग्ध उत्पादन समिति के अध्यक्ष हैं। अपनी समिति को अच्छी तरह से चलाने और उसमें अधिक-से-अधिक लोगों को जोड़ने के लिए आप क्या-क्या कोशिशें करेंगे?
आपके इलाके में किस प्रकार की सहकारी समितियाँ हैं ? एक सूची बनाएँ। फिर टोली बनाकर नीचे दिए गए बिन्दुओं पर इनके बारे में जानकारी ढूंढ़िये और अपनी रिपोर्ट बनाकर कक्षा में पेश कीजिये।
सहकारिता से आप क्या समझते हैं ? एक उदाहरण देकर समझाइए। सहकारी समितियाँ बनने से पहले, इनसे सम्बन्धित लोगों को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था ? इनके बनने के बाद, ये कठिनाइयाँ कैसे दूर हो पाईं ?