आपस में मिल-जुलकर समूह में, एक समिति गठित कर कार्य-व्यापार करने को सहकारिता कहते हैं। जैसे-पाठ में, मधुरापुर में महिला दुग्ध उत्पादक
सहयोग समिति’ नामक एक सहकारी समिति गठित की गई। यह समिति जिला स्तर पर वैशाली पाटलिपुत्र दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड, जिसे हम पटना डेयरी के नाम से भी जानते हैं, के साथ जुड़कर काम करती है।
सहकारी समितियाँ बनने से पहले, इनसे सम्बन्धित उत्पादकों को अपना उत्पाद बेचने के लिए दूर-दराज के इलाकों में जाकर अपने ग्राहक ढूँढ़ने पड़ते थे। उन्हें उचित दाम भी नहीं मिल पाता था।
इन समितियों के बनने के बाद उनसे जुड़े उत्पादकों को अपने उत्पाद एक जगह बेचने की सुविधा मिल गयी और वह भी उचित मूल्य पर । साथ ही, ‘जरूरत पड़ने पर उन्हें समिति से ऋण लेने की सुविधा भी मिल गयी, वह भी सस्ते दर पर । इससे वे महाजनों के चंगुल में फंसने से बच गये।