अंग्रेजी सरकार द्वारा बार-बार भूमि राजस्व व्यवस्था में किये जाने वाले परिवर्तनों को आप किस रूप में देखते हैं ? अपने शब्दों में बताएँ।
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अंग्रेजी सरकार ने गाँवों से ज्यादा से ज्यादा धन अपने साम्राज्य विस्तार के लिए होने वाले खर्चों के लिए प्राप्त करना चाहा। इसके लिए उसने पहले स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था की । इसके तहत जमींदारों द्वारा लगान के रूप में जमा की जाने वाली राशि हमेशा के लिए तय कर दी गयी। फिर उन्हें लगा कि यह उचित नहीं था। चूँकि साल दर साल उनके खर्चे तो बढ़ते ही जाएँगे और लगान के रूप में आने वाली आय वही रहेगी। अतः उन्होंने फिर महालवारी व्यवस्था की जिसके तहत जमींदारों के बदले गाँव के बड़े किसान या परिवार को गाँव का लगान वसूलने का अधिकार दे दिया गया इसके तहत अंग्रेजों को 50 प्रतिशत लगान मिलना था और इसे मात्र 30 वर्षों के लिए लागू किया गया। जबकि रैयतवारी व्यवस्था के तहत कंपनी सरकार ने सीधा किसानों से संपर्क किया । किसानों को जमीन का मालिक बना दिया गया।

उनसे सीधे 50 प्रतिशत लगान जमा करने को कहा गया । पर, इस व्यवस्था ‘को स्थायी नहीं बनाया गया। प्रत्येक 30 वर्ष बाद राशि में बदलाव किया जाना तय किया गया । भूमि राजस्व व्यवस्था में अंग्रेजी सरकार ने बार-बार परिवर्तन अधिक से अधिक लाभ कमाने के दृष्टिकोण से किया था।
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