अंग्रेजों ने 1857 के विप्लव पर दमनात्मक नीति अपनाकर काबू पाया। इसे निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) कम्पनी ने अपनी पूरी ताकत लगाकर विद्रोह को कुचलने हेतु इंग्लैण्ड से और फौजी मँगवाए, विद्रोहियों को जल्दी सजा देने के लिए नए कानून बनाए और विद्रोह के मुख्य केन्द्रों पर धावा बोल दिया।
(2) सितम्बर, 1857 में दिल्ली दोबारा अंग्रेजों के कब्जे में आ गई। अन्तिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर पर मुकदमा चलाया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई। उनके बेटों को उनकी आँखों के सामने गोली मार दी गई। बहादुरशाह और उनकी पत्नी बेगम जीनत महल को अक्तूबर, 1858 में रंगून जेल में भेज दिया गया जहाँ नवम्बर, 1862 में बहादुरशाह जफर की मृत्यु हो गई।
(3) मार्च, 1858 में अंग्रेजों का लखनऊ पर भी अधिकार हो गया। जून, 1858 में रानी लक्ष्मीबाई की शिकस्त हुई और उन्हें मार दिया गया। दुर्भाग्यवश ऐसा ही रानी अवन्ति बाई लोधी के साथ हुआ। खेड़ी की शुरुआती विजय के बाद उन्होंने अपने आपको अंग्रेजी फौज से घिरा पाया और वे शहीद हो गई।
(4) ताँत्या टोपे मध्य भारत के जंगलों में रहते हुए आदिवासियों और किसानों की सहायता से छापामार युद्ध चलाते रहे।
(5) विद्रोही ताकतों की हार से लोगों की हिम्मत टूटने लगी। बहुत सारे लोगों ने विद्रोहियों का साथ छोड़ दिया।
(6) अंग्रेजों ने कूटनीति से काम लेते हुए वफादार भूस्वामियों के लिए इनामों की घोषणा की तथा विद्रोह में भाग लेने वालों को समर्पण करने पर कुछ शर्तों के साथ माफ करने की घोषणा की।
(7) इस सबके बावजूद अंग्रेजों ने सैकड़ों सिपाहियों, विद्रोहियों, नवाबों तथा राजाओं पर मुकदमे चलाये तथा उन्हें फाँसी पर लटका दिया।
इस प्रकार 1859 के आखिर तक अंग्रेजों ने देश पर दोबारा | नियन्त्रण स्थापित कर लिया।