अंतःश्वसन के दौरान, श्वसन के लिए वायु को नासाद्वार द्वारा शरीर में खींचा जाता है, जहाँ से वायु ग्रसनी में पहुँचती है। यहाँ से वायु कंठ से होते हुए श्वासनली तथा अन्ततः फुफ्फुसों के अंदर की संरचनाओं यानि कूपिकाओं तक पहुँचती है, जहाँ गैसीय विनिमय होता है।