अंतरातारकीय अंतरिक्ष में $10^{−12} \ T$ की कोटि का बहुत ही क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र होता है। क्या इस क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र के भी कुछ प्रभावी परिणाम हो सकते हैं? समझाइए।
Exercise - 5.2
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क्या होता है जबकि एक चुंबक को दो खंडों में विभाजित करते हैं (i) इसकी लंबाई के लंबवत (ii) लंबाई के अनुदिश?
एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में रखी गई किसी चुंबकीय सुई पर बल आघूर्ण तो प्रभावी होता है पर इस पर कोई परिणामी बल नहीं लगता। तथापि, एक छड़ चुंबक के पास रखी लोहे की कील पर बल आघूर्ण के साथ-साथ परिणामी बल भी लगता है। क्यों?
क्या प्रत्येक चुंबकीय विन्यास का एक उत्तरी और एक दक्षिणी ध्रुव होना आवश्यक है? एक टोरॉयड के चुंबकीय क्षेत्र के संबंध में इस विषय में अपनी टिप्पणी दीजिए।
दो एक जैसी दिखाई पड़ने वाली छड़े A एवं B दी गई हैं जिनमें कोई एक निश्चित रूप से चुंबकीय है, यह ज्ञात है (पर, कौन सी यह ज्ञात नहीं है)। आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि दोनों छड़ें चुंबकित हैं या केवल एक? और यदि केवल एक छड़ चुंबकित है तो यह कैसे पता लगाएँगे कि वह कौन-सी है। [आपको छड़ों A एवं B के अतिरिक्त अन्य कोई चीज प्रयोग नहीं करनी है।]
अपने 4-5 अरब वर्षों के इतिहास में पृथ्वी अपने चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कई बार उलट चुकी होगी। भूगर्भशास्त्री, इतने सुदूर अतीत के पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के बारे में कैसे जान पाते हैं?
चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ (हर बिंदु पर) वह दिशा बताती हैं जिसमें (उस बिंदु पर रखी) चुंबकीय सुई संकेत करती है। क्या चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ प्रत्येक बिंदु पर गतिमान आवेशित कण पर आरोपित बल रेखाएँ भी हैं?
एक टोरॉइड में तो चुंबकीय क्षेत्र पूर्णतः क्रोड के अंदर सीमित रहता है, पर परिनालिका में ऐसा नहीं होता। क्यों?
यदि चुंबकीय एकल ध्रुवों का अस्तित्व होता तो चुंबकत्व संबंधी गाउस का नियम क्या रूप ग्रहण करता?
क्या कोई छड़ चुंबक अपने क्षेत्र की वजह से अपने ऊपर बल आघूर्ण आरोपित करती है? क्या किसी धारावाही तार का एक अवयव उसी तार के दूसरे अवयव पर बल आरोपित करता है।
गतिमान आवेशों के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होते हैं। क्या कोई ऐसी प्रणाली है जिसका चुंबकीय आघूर्ण होगा, यद्यपि उसका नेट आवेश शून्य है?
एक लम्बे, सीधे, क्षैतिज केबल में $2.5\ A$ धारा, $10^\circ$ दक्षिण$-$पश्चिम से $10^\circ$ उत्तर$-$पूर्व की ओर प्रवाहित हो रही है। इस स्थान पर चुम्बकीय याम्योत्तर भौगोलिक याम्योत्तर के $10^\circ$ पश्चिम में है। यहाँ पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र $0.33\ G$ एवं नति कोण शून्य है। उदासीन बिन्दुओं की रेखा निर्धारित कीजिए। $($केबल की मोटाई की उपेक्षा कर सकते हैं$)।$
$($उदासीन बिन्दुओं पर, धारावाही केबल द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र, पृथ्वी की क्षैतिज घटक के चुम्बकीय क्षेत्र के समान एवं विपरीत दिशा में होता है।$)$
बहुत अधिक दूरियों पर (30,000 km से अधिक) पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र अपनी द्विधुवीय आकृति से काफी भिन्न हो जाता है। कौन से कारक इस विकृति के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं?
एक वृत्ताकार कुंडली जिसमें $16$ फेरे हैं। जिसकी त्रिज्या $10$ सेमी. है और जिसमें $75\ A$ धारा प्रवाहित हो रही है, इस प्रकार रखी है कि इसका तल, $5.0 \times 10^{-2}\ T$ परिमाण वाले बाह्य क्षेत्र के लम्बवत् है। कुंडली, चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत और इसके अपने तल में स्थित एक अक्ष के चारों तरफ घूमने के लिए स्वतंत्र है। यदि कुंडली को जरा$-$सा घुमा कर छोड़ दिया जाए तो यह अपने स्थायी संतुलनावस्था के इधर$-$उधर $2.0 \mathrm{~s}^{-1}$ की आवृत्ति से दोलन करती है। कुंडली का अपने घूर्णन अक्ष के परितः जड़त्व$-$आघूर्ण क्या है।
किसी छोटे छड़ चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण $0.48 \ JT^{-1}$ है। चुम्बक के केन्द्र से $10$ सेमी. की दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर इसके चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण एवं दिशा बताइए यदि यह बिन्दु