अपने घर के आस-पास सर्वे करें कि पिछले 15 वर्षों में लोगों की फल को खपत में क्या-क्या परिवर्तन आए और क्यों ?
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पिछले 15 वर्षों में लोगों की फल की खपत में बहुत परिवर्तन आया है। लोगों के बीच फल की खपत बहुत कम हो गयी। बढ़ती महंगाई के चलते फल इतने महंगे हो गए हैं कि अब लोग अपने भोजन में फलों को शामिल नहीं कर पाते । जितनी आमदनी थोड़ी अधिक हैं, उन लोगों की थाली में फल कभी नजर भी आ जाए। पर गरीब लोगों के लिए फल खाना मुमकिन नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में फलों के दाम में इतनी तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है कि जो लोग पहले टोकड़े के हिसाब से फल लेते थे, अब किलो के हिसाब से फल लेने को मजबूर है।
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बिहार में मक्का उद्योग लगाने की काफी संभावनाएं हैं। इन इकाइयों के द्वारा मक्के के विभिन्न उत्पाद जैसे – स्टार्च, बेबीकान, पॉपकार्न, कार्न-फ्लेक्स, मक्के का आटा, मुर्गियों का चारा, मक्के का तेल । आदि बनाया जा सकता है। इनके क्या फायदे नुकसान है, चर्चा करें।
स्वतंत्रता के पूर्व बिहार को देश का चीनी का कटोरा कहा जाता था। 1942-43 में राज्य में कुल 32 चीनी मिलें थीं जबकि देश मे मिर्फ 140 चीनी मिलें थीं। वहीं 2000 तक राज्य में चीनी मिलों की संख्या घटकर सिर्फ 10 रह गयी जबकि भारतवर्ष में चीनी मिलों की संख्या बढ़कर 495 हो गयी।