शीतगृहों के निर्माण से किसे फायदा हो सकता है ? चर्चा करें।”
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शीतगृहों के निर्माण से सब्जियों एवं फलों का व्यापार करने वाले को फायदा हो सकता है। जब इनके व्यापारियों के पास सब्जियाँ या फल ज्यादा मात्रा में आ जाते हैं और उस हिसाब से उनकी खपत नहीं होती पाती है तो इस वजह से वह धीरे-धीरे या तो सूखने लगती है या फिर सड़ जाती है। इससे उनका कोई खरीददार नहीं मिलता और व्यापारियों को बहुत नुकसान होता है। अगर. शीतगहाँ का निर्माण हो जाए तो उसमें फलों और सब्जियों को रख दिया जाएगा। जिससे फल या सब्जियाँ न तो सूखेंगी और न ही सड़ेंगी। शीत गृहों में इनका सुरक्षित भंडारण हो पाएगा और व्यापारियों को नुकसान भी नहीं होगा।
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बिहार में मक्का उद्योग लगाने की काफी संभावनाएं हैं। इन इकाइयों के द्वारा मक्के के विभिन्न उत्पाद जैसे – स्टार्च, बेबीकान, पॉपकार्न, कार्न-फ्लेक्स, मक्के का आटा, मुर्गियों का चारा, मक्के का तेल । आदि बनाया जा सकता है। इनके क्या फायदे नुकसान है, चर्चा करें।
स्वतंत्रता के पूर्व बिहार को देश का चीनी का कटोरा कहा जाता था। 1942-43 में राज्य में कुल 32 चीनी मिलें थीं जबकि देश मे मिर्फ 140 चीनी मिलें थीं। वहीं 2000 तक राज्य में चीनी मिलों की संख्या घटकर सिर्फ 10 रह गयी जबकि भारतवर्ष में चीनी मिलों की संख्या बढ़कर 495 हो गयी।