सरकार द्वारा चलायी गयी नियंत्रित मंडी क्या है ? शिक्षक के साथ चर्चा करें।
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सरकार द्वारा चलायी गयी नियंत्रित मंडी में किसानों को अपने उत्पाद को खुली नीलामी द्वारा बेचने का मौका मिलता है। खली नीलामी द्वारा उत्पाद बेचने पर किसानों को अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिलता है। पर नियंत्रित मंडी की व्यवस्था न होने की वजह से किसानों को अपनी फसल स्थानीय व्यवसायियों या निजी मिलों को बेचना पड़ता है और उनकी इसी मजबूरी का फायदा उठाकर ये व्यवसायी उन्हें उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं देते हैं।
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    थोक और खुदरा बाजार में क्या अंतर है?
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    इन फसलों में से दो फसलों के बाजार की कड़ियों (किसान से उपभोक्ता) का रेखा-चित्र बनाएँ, जो आपके इलाके में उगाया जाता है।
    1. गेहूँ
    2. मक्का
    3. दलहन
    4. सरसों।
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    इस रेखा चित्र के अनुसार बड़े शहर की मंडी तक चावल पहुंचने के क्या-क्या तरीके हैं ?
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    थोक बाजार की जरूरत क्यों होती है ? चर्चा करें।
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    बिहार में फल प्रसंस्करण आधारित उद्योग लगाने की क्या-क्या संभावनाएं हैं? चर्चा करें।
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  • 6
    स्तंभ ‘क’ को स्तंभ ‘ख’ से मिलान करें।
    स्तंभ कस्तंभ ख
    (i) शाही लीची(क) भागलपुर
    (ii) दुधिया मालदह(ख) मुजफ्फरपुर
    (iii) मखाना(ग) दीघा (पटना)
    (iv) जर्दालु आम(घ) दरभंगा
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    बिहार में मक्का उद्योग लगाने की काफी संभावनाएं हैं। इन इकाइयों के द्वारा मक्के के विभिन्न उत्पाद जैसे – स्टार्च, बेबीकान, पॉपकार्न, कार्न-फ्लेक्स, मक्के का आटा, मुर्गियों का चारा, मक्के का तेल । आदि बनाया जा सकता है। इनके क्या फायदे नुकसान है, चर्चा करें।
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    आपके अनुसार अरहर किसान से किस प्रकार आपके घरों में दाल के रूप में पहुँचता है ? दिये गये विकल्पों में से खाली बॉक्स भरें। विकल्प
    1. दाल मिल
    2. खुदरा व्यवसायी
    3. स्थानीय छोटे व्यवसायी
    4. बड़ी मंडी के थोक व्यवसायी
    5. स्थानीय मंडी के थोक व्यवसायी
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    स्वतंत्रता के पूर्व बिहार को देश का चीनी का कटोरा कहा जाता था। 1942-43 में राज्य में कुल 32 चीनी मिलें थीं जबकि देश मे मिर्फ 140 चीनी मिलें थीं। वहीं 2000 तक राज्य में चीनी मिलों की संख्या घटकर सिर्फ 10 रह गयी जबकि भारतवर्ष में चीनी मिलों की संख्या बढ़कर 495 हो गयी।
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  • 10
    शीतगृहों के निर्माण से किसे फायदा हो सकता है ? चर्चा करें।”
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