बायो-सायर्ट नियम से किसी धारावाही पाश के अक्ष पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का व्यंजक व्युत्पन्न. कीजिए। आवश्यक चित्र बनाइए।
(माध्य. शिक्षा योर्ड, 2024)
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(i) जब प्रेक्षण बिन्दु कुण्डली के केन्द्र पर स्थित हो-हम एक वृत्ताकार कुण्डली पर विचार करते हैं जिसकी त्रिज्या a है व जिसमें धारा I प्रवाहित हो रही है। जब प्रेक्षण बिन्दु कुण्डली के केन्द्र पर स्थित होता है तो चित्र में दर्शाये अनुसार कुण्डली के प्रत्येक अल्पांश से प्रेक्षण बिन्दु की दूरी r कुण्डली की त्रिज्या a के बराबर होती है। इसके अलावा प्रत्येक धारा अल्पांश के सापेक्ष P का स्थिति सदिश धारा की दिशा से $90^{\circ}$ कोण बनाता है जिससे $\sin \theta=\sin 90^{\circ}=1$
अतः बायो-सावर्ट नियम से कुण्डली के किसी अल्पांश के कारण प्रेक्षण बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र
$\delta B=\frac{\mu_0}{4 \pi} \frac{ I \delta l}{ a ^2}$
सभी अल्पांशों के कारण चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कुण्डली के तल के लम्बवत् दक्षिणावर्ती पेच नियमानुसार समान होती है। अतः परिणामस्वरूप पूर्ण कुण्डली के कारण कुण्डली के केन्द्र पर कुल चुम्बकीय क्षेत्र
Image
$\begin{aligned}B & =\Sigma \delta B =\frac{\mu_0}{4 \pi} \frac{ I }{ a ^2} \Sigma \delta l \\& =\frac{\mu_0}{4 \pi} \frac{1}{ a ^2}(2 \pi a )=\frac{\mu_0 I }{2 a }\end{aligned}$
यदि कुण्डली में समान त्रिज्या के $n$ फेरे हैं तो
$\Sigma \delta l=2 \pi na$
$\therefore B=\frac{\mu_0 nI }{2 a }$ वेबर $/$ मी $^2$ या टेसला
चुम्बकीय क्षेत्र $\vec{B}$ की दिशा कुण्डली के तल के लम्बवत् होती है तथा यह दिशा दायीं हथेली के नियम द्वारा ज्ञात होती है। यदि । फेरे की व । मीटर त्रिज्या की कुण्डली में । ऐम्पियर धारा प्रवाहित की जाये तो कुण्डली केन्द्र पर चुम्बकीय प्रेरण का मान निम्न होगा-
$B=\frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 1 \times 1}{2 \times 1}=2 \pi \times 10^{-7}$ टेसला
अतः 1 ऐम्पियर वह धारा है जिसे । मीटर त्रिज्या व । फेरे वाली कुण्डली में प्रवाहित करने पर कुण्डली के केन्द्र पर $2 \pi \times 1 \sigma^{-7}$ वेबर/मी. ${ }^2$ (टेसला) का चुम्बकीय प्रेरण उत्पन्न होता है।


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