जलमार्ग परिवहन का एक प्रमुख साधन माना जाता है। जल परिवहन के अन्तर्गत दो भाग आते हैं-
- नदी जलमार्ग तथा
- समुद्री जलमार्ग। नदी जलमार्ग से आन्तरिक व्यापार के लिए परिवहन का काम लिया जाता है जबकि समुद्रीजलमार्ग से विदेशी व्यापार होता है।
समुद्री जलमार्ग के अन्तर्गत देश में विभिन्न पत्तन या बन्दरगाह हैं। इन्हीं पत्तनों पर समुद्री जहाज ठहरते हैं और माल को निर्यात व्यापार करने के लिए जहाज पर लादा जाता है। साथ ही विदेशों से आयात किए हुए माल इन्हीं पत्तनों से जहाज से उतारा जाता है। यानी आयात व्यापार होता है। अतः विदेशी व्यापार के विकास के लिए इन पत्तनों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। भारत में कई प्रमुख पत्तन या बंदरगाह हैं जिनसे व्यापार-कार्य होता है।
हमारे देश के पश्चिमी तट पर कांडला, मुंबई, मार्मगाओ, न्यू मंगलौर और कोचीन (कोच्चि) पत्तन प्रमुख रूप से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भाग लेते हैं। हाल ही में मुंबई में पं. जवाहरलाल नेहरू के नाम पर नए पत्तन का विकास किया गया है। मुंबई भारत का सबसे बड़ा पत्तन है। खनिज तेल के अधिकतर उत्पादों का व्यापार यहीं से होता है। न्यू मंगलौर का विकास केन्द्रमुख लौह-अयस्क के निर्यात के लिए मुख्य रूप से हुआ है। मामगाओ भारत का पाँचवाँ बड़ा पत्तन है, जहाँ से लोहा और मैंगनीज का निर्यात होता है। कोचीन का पोताश्रय नैसर्गिक है और उसकी पृष्ठभूमि में रबर, कहवा तथा नारियल कुंज मिलते हैं। नारियल की जटा और गरम मसालों के व्यापार के चलते इसे पुराने जमाने से प्रसिद्धि मिलती रही है।
भारत के पूर्वी तट पर प्रमुख पत्तन हैं तूती कोसि, चेन्नई, विशाखापत्तनम, पारादीप और कोलकाता हल्दिया तूती कोरिम में मुख्यतः कोयला से लदे जहाज माल उतारते हैं। चेन्नई (मद्रास) मुख्यतः खनिज तेल और लोहा अयस्क का व्यापार करता है, विशाखापत्तनम का पत्तन सबसे गहरा है जो मुख्यतः मैंगनीज, लौह-अयस्क का निर्यात करता है। कोलकाता नदी पत्तन है। इसके समीप हल्दिया का विकास कोयला और पेट्रोलियम उत्पादों के व्यापार के लिए किया जा रहा है।