भारत में निर्यात संवर्द्धन के लिए सरकार द्वारा दो प्रयास किए गये हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है-
(i) नयी विदेश व्यापार नीति देश की आर्थिक उन्नति निर्यात पर निर्भर करती है। क्योंकि इससे विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। सरकार द्वारा 31 अगस्त, 2004 को नयी विदेश व्यापार नीति लाई गयी। जिसका उद्देश्य 2004-2009 के बीच विश्व व्यापार में भारत का हिस्सा दुगुना करना था। इसमें वर्णित सख्त प्रावधानों के चलते उद्देश्य के अनुरूप शीघ्र ही सापेक्षिक परिणाम मिलने लगे। तीन वर्षों के अन्तर ही भारत के निर्यात में सराहनीय वृद्धि हुयी है।
(ii) विशेष आर्थिक क्षेत्र भारत एशिया का पहला देश है जिसने निर्यात की वृद्धि के लिए निर्यात संसाधन क्षेत्र को स्वीकार किया है। परन्तु कुछ खामियों के चलते निर्यात के संवर्द्धन की दिशा में ये क्षेत्र (गुजरात के कांडला, महाराष्ट्र में सांताक्रुज, केरल में कोच्चि, तमिलनाडु में चेन्नई, आन्ध्रप्रदेश में विशाखापत्तनम, प. बंगाल में फाल्टा और उत्तर प्रदेश में नोएडा) कारगर नहीं हो पाये। परिणामस्वरूप अप्रैल 2000 में कई नये प्रावधानों के साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र की नीति की घोषणा की गयी। अतः इस प्रकार यह कहा जा सकता है निर्यात संवर्द्धन के क्षेत्र में भारत सरकार ने बहुत ही सराहनीय कदम उठाए हैं जिसका दूरगामी परिणाम सामने आया है। और विभिन्न भागों के लोगों सहायता पहुंचाने में समा समस्या का आस इकाई |