भूमि उपयोग का अर्थ कुल उपलब्ध भूमि का विविध कार्यों में होनेवाले उपयोग के आँकड़ों से है । इससे संबंधित आँकड़े हमेशा बदलते रहते हैं। मतलब यह कि विभिन्न देशों के मध्य इसका प्रारूप एक जैसा नहीं मिलता है। कहीं वन क्षेत्र अधिक मिलता है, तो कहीं शुद्ध बोई गई भूमि का क्षेत्र, तो कहीं बंजर भूमि का क्षेत्र अधिक मिलता है भारत में भूमि उपयोग प्रारूप संबंधी आँकड़े या रिकार्ड भू-राजस्व विभाग रखता है ।
भूमि उपयोग वर्ग-भूमि उपयोग के वर्ग निश्चित हैं। ये वर्ग हैं
1. वन क्षेत्र की भूमि
2. कृषि कार्य के लिए अनुपलब्ध भूमि
- बंजर एवं व्यर्थ भूमि
- सड़क, मकान, उद्योगों में लगी भूमि
3. परती भूमि
- चालू परती भूमि (जिस भूमि पर एक वर्ष या उससे कम समय से कृषि नहीं की गई हो)
- अन्य परती भूमि (जिस भूमि पर एक वर्ष से अधिक तथा पाँच वर्ष से कम समय से कृषि नहीं की गई हो ।)
4. अन्य कृषि अयोग्य भूमि
- स्थायी चारागाह की भूमि
- कृषि योग्य बंजर भूमि (जिस भूमि पर पाँच वर्ष से अधिक समय से खेती नहीं की गई हो ।)
5. शुद्ध बोई गई भूमि