बीजाणुद्भिद से बिना अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रत्यक्ष रूप से युग्मकोद्भिद बनने की क्रिया को कहते हैं-
[1988]
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(a) निभाग में दैहिक कोशिका प्रत्यक्ष रूप से अह्तासित भ्रूण कोष बनाती है तथा द्विगुणित अण्डाणु अनिषेक जनन द्वारा सीधे भ्रूण में विकसित होता है अर्थात् अर्द्धसूत्री विभाजन के बिना बीजाणुदभिद से युग्मकोदभिद का बनना। इसे एपोस्पोरी कहते हैं जो एपोमिक्सिस का एक प्रकार है।
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