चित्र में उष्मागतिकी प्रक्रम दिखाया गया है । कुछ बिन्दुओं पर दाब व आयतन निम्न प्रकार है $P _{ A }=3 \times 10^4 Pa , V _{ A }$ $=2 \times 10^{-3}$, मी $^3 P _{ B }=8 \times 10^4 Pa , V _{ B }=5 \times 10^{-3}$ मी $^3$. प्रक्रम $AB$ में $600 J$ ऊष्मा दी गयी तथा $BC$ में $200 J$ ऊष्मा दी गयी। $AC$ प्रक्रम में आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन होगा:
[1991]
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(a) $AB$ - समआयतनिक प्रक्रम है। अतः इसमें कोई कार्य नहीं होगा। $BC$ एक समदाबीय प्रक्रम है, $W = P _{ B }\left( V _{ D }- V _{ A }\right)=240 J$ $\Delta Q =600+200=800 J$ $\Delta Q =\Delta U +\Delta W$ $\Rightarrow \Delta U =\Delta Q -\Delta W =800-240=560 J$
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कोई रेफ्रिजरेटर $4^{\circ} C$ और $30^{\circ} C$ के बीच कार्य करता है। प्रशीतन किए जाने वाले स्थान का ताप नियत रखने के लिए $600$ कैलोरी ऊप्मा का प्रति सेकण्ड बाहर निकालना आवश्यक होता है। इसके लिए आवश्यक शक्ति चाहिए :
एक उत्क्रमणीय इंजन ली गयी ऊष्मा का $1 / 6$ कार्य में बदलता है । यदि सिंक का तापतान $60^{\circ} C$ कम कर दिया जाए तो दक्षता दोगुनी हो जाती है । तो स्रोत्र तथा सिंक का तापमान होगा :
एक इंजन $1 / 6$ की दक्षता रखता है। जब इसके गर्त के तापमान को $62^{\circ} C$ से कम कर दिया जाता है, तो इसकी दक्षता दोगुनी हो जाती है। स्त्रोत का तापमान होगा $-$
किसी एक परमाण्विक गैस का दाब $p$ और आयतन $V$ है। इसमें पहले समतापीय रूप से $2 V$ आयतन तक और फिर रूद्धोष्म रूप से $16 V$ आयतन तक प्रसार होता है। यदि $\gamma=\frac{5}{3}$ हो तो, गैस का अन्तिम दाब होगा