धमनियाँ उच्च दाब पर रूधिर को हृदय से शरीर के विभिन्न भागों में ले जाती हैं। अतः इनकी भित्तियाँ मोटी तथा प्रत्यास्थ (लचीली) होती हैं। शिराएँ रूधिर को विभिन्न भागों में एकत्र करके हृदय की ओर ले जाती हैं। इनमें रूधिर का दाब अधिक नहीं रहता है क्योंकि यह हृदय (एक प्रकार का पंप) द्वारा झटके से भेजा गया रूधिर नहीं लाती हैं। अतः शिराओं की दीवारें धमनियों की अपेक्षा पतली होती हैं ताकि रुधिर का प्रवाह केवल एक ही दिशा में हो सके।