दर्पण-सूत्र का उपयोग यह व्युत्पन्न करने के लिए कीजिए कि
किसी अवतल दर्पण के f तथा 2f के बीच रखे बिंब का वास्तविक प्रतिबिंब 2f से दूर बनता है।
उत्तल दर्पण द्वारा सदैव आभासी प्रतिबिंब बनता है जो बिंब की स्थिति पर निर्भर नहीं करता।
उत्तल दर्पण द्वारा सदैव आकार में छोटा प्रतिबिंब, दर्पण के धुव व फोकस के बीच बनता है।
अवतल दर्पण के धुव तथा फोकस के बीच रखे बिंब का आभासी तथा बड़ा प्रतिबिंब बनता है।
Exercise - 9.15
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अपवर्तनांक 1.55 के काँच से दोनों फलकों की समान वक्रता त्रिज्या के उभयोत्तल लैंस निर्मित करने हैं। यदि 20 सेमी. फोकस दूरी के लेंस निर्मित करने हैं तो अपेक्षित वक्रता त्रिज्या क्या होगी?
किसी संयुक्त सूक्ष्मदर्शी में 2.0 सेमी. फोकस दूरी का अभिदृश्यक लेंस तथा 6.25 सेमी. फोकस दूरी का नेत्रिका लेंस एक-दूसरे से 15 सेमी. दूरी पर लगे हैं। किसी बिम्ब को अभिदृश्यक से कितनी दूरी पर रखा जाए कि अंतिम प्रतिबिम्ब
स्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी (25 सेमी.) तथा
अनंत पर बने?
दोनों स्थितियों में सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता ज्ञात कीजिए।
आपने सीखा है कि समतल तथा उत्तल दर्पण सदैव आभासी प्रतिबिंब बनाते हैं। क्या ये दर्पण किन्हीं परिरिथतियों में वास्तविक प्रतिबिंब बना सकते हैं? स्पष्ट कीजिए।
कोई जादूगर खेल दिखाते समय n = 1.47 अपवर्तनांक के काँच के लेंस को किसी द्रव से भरी द्रोणिका में डालकर अदृश्य कर देता है। द्रव का अपवर्तनांक क्या हो सकता है? क्या यह द्रव जल हो सकता है?
अभ्यास $24$ मेँ वस्तु तथा आवर्धक लेंस के बीच कितनी दूरी होनी चाहिए ताकि आभासी प्रतिबिंब में प्रत्येक वर्ग $6.25$ सेमी$^2$ क्षेत्रफल का प्रतीत हो? क्या आप आवर्धक लेंस को नेत्र के अत्यधिक निकट रखकर इन वर्गों को सुस्पष्ट देख सकेंगे?